भजन भोले शंकर का करते रहोगे |
तो संसार सागर से तरते रहोगे |
कृपानाथ वे शक मिलेंगे किसी दिन |
जो सत्संग पथ से गुजरते रहोगे |
तो संसार सागर से तरते रहोगे |
चढोगे ह्रदय पर सभी के सदा तुम |
जो अभिमान गिरी से उतरते रहोगे |
तो संसार सागर से तरते रहोगे |
न होगा कभी क्लेश मन को तुम्हारे |
जो अपनी बड़ाई से डरते रहोगे |
तो संसार सागर से तरते रहोगे |
छलक ही पड़ेगा दया सिन्धु का दिल |
जो दृग बिंदु से रोज भरते रहोगे |
तो संसार सागर से तरते रहोगे. |
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