जय शिव ओंकारा, भज शिव ओंकारा। |
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अद्र्धागी धारा॥ |
हर हर हर महादेव॥ |
एकानन, चतुरानन, पंचानन राजै। |
हंसासन, गरुडासन, वृषवाहन साजै॥ \हर हर .. |
दो भुज चारु चतुर्भुज, दशभुज ते सोहे। |
तीनों रूप निरखता, त्रिभुवन-जन मोहे॥ \हर हर .. |
अक्षमाला, वनमाला, रुण्डमाला धारी। |
त्रिपुरारी, कंसारी, करमाला धारी। \हर हर .. |
श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघाम्बर अंगे। |
सनकादिक, गरुडादिक, भूतादिक संगे॥ \हर हर .. |
कर मध्ये सुकमण्डलु, चक्र शूलधारी। |
सुखकारी, दुखहारी, जग पालनकारी॥ \हर हर .. |
ब्रह्माविष्णु सदाशिव जानत अविवेका। |
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका। \हर हर .. |
त्रिगुणस्वामिकी आरती जो कोई नर गावै। |
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावै॥ \हर हर .. |
Friday, 20 June 2014
जय शिव ओंकारा, भज शिव ओंकारा।
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