एक घर के सामने सडक बन |
रही थी, |
गरीब मजदूरिन वहाँ काम |
कर रही थी. |
मजदूरिन के घर |
का सारा बोझ उसी पर |
पडा था, |
उसका नन्हा सा बच्चा साथ |
ही खडा था. |
उसके घर के सारे बर्तन सूखे |
थे, |
दो दिन से उसके बच्चे भूखे थे. |
बच्चे की निगाह सामने के |
बँगले परपडी, |
घर की मालकिन, हाथ मे |
रोटी लिये खडी. |
बच्चे ने कातर |
दृष्टि मालकिन की तरफ |
डाली, |
लेकिन मालकिन ने रोटी, |
पालतू कुत्ते |
की तरफ उछाली. |
कुत्ते ने सूँघकर |
रोटी वहीं छोड दी, |
और अपनी गर्दन |
दूसरी तरफ मोड दी! |
कुत्ते का ध्यान, |
नही रोटी की तरफ |
जरा था, |
शायद उसका पेट |
पूरा भरा था! |
ये देख कर बच्चा गया माँ के |
पास, |
भूखे मन मे रोटी की लिये |
आस. |
बोला- माँ! क्या रोटी मै |
उठा लूँ? |
तू जो कहे तो वो मै खा लूँ? |
माँ ने पहले तो बच्चे |
को मना किया, |
बाद मे मन मे ये खयाल |
किया कि- |
कुत्ता अगर |
भौंका तो मालिक उसे |
दूसरी रोटी दे देगा, |
मगर |
मेरा बच्चा रोया तो उसकी कौन |
सुनेगा? |
माँ के मन मे खूब हुई कशमकश, |
लेकिन बच्चे की भूख के आगे |
वो थी बेबस. |
माँ ने जैसे ही हाँ मे सिर |
हिलाया, |
बच्चे ने दरवाजे की जाली मे |
हाथ घुसाया. |
बच्चे ने डर से |
अपनी आँखों को भींचा, |
और धीरे से |
रोटी को अपनी तरफ |
खींचा! |
कुत्ता ये देखकर बिल्कुल |
नही चौंका! |
चुपचाप देखता रहा! |
जरा भी नही भौंका!! |
कुछ मनुष्यों ने |
तो बेची सारी अपनी हया है, |
लेकिन कुत्ते के मन मे अब |
भी शेष दया है.!! |
Friday, 20 June 2014
एक घर के सामने सडक बन
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